बेइंतहां कसरत से हम बलवान बनते हैं..हिफाजत के लिए वतन की जवान बनते हैं.. महफूज है उनके होते हुए अवाम देश की..दुश्मन के लिए मौत का सामान बनते हैं.. रह न जाए भूखा कोई इसीलिए लोग..पेट भरने…
जंग लगी तलवारों पर अब धार चढ़ानी होगी..मंजिल पर हम ने अपनी नजर गढ़ानी होगी.. आती है तो आने दो राहों पर कितनी भी कठिनाई..चलकर हमने काँटों पर अपनी रफ्तार बढ़ानी होगी.. सांपों से आस्तीन के बचाना…
किरण नेगी के निर्मम बलात्कार और हत्या के संदर्भ में श्रद्धांजलि स्वरुप श्रीमती बीना नयाल जी की रचना। अब तो विदा कर दो मुझे गुज़र गया है एक दशकज़ख को ना मिला मरहमचौपाल से लेकर संसद तकनिर्वस्त्र…
पेड़ और पौधों पर पैंसे कभी उगते नहीं..फल वक्त से पहले उनमें कभी लगते नहीं.. बहा ले जाती हैं उन्हें मुश्किलों की आंधियां..खाकर ठोकर भी जो कभी जगते नहीं.. एक दौर लगता है सीखने में कोई हुनर..तजुर्बे…
गमों से भरी दुनिया में प्यार जरूरी है..ख्वाहिशों का अपनी इजहार जरूरी है.. एक ही सिक्के के दो पहलू हैं सुख दुख..सर्दियों के बाद बसंत की बहार जरूरी है.. मुसीबतों से भरी इस छोटी सी कायनात में..जीतने…
जिनके ऊपर खड़ा शिखर,जो पत्थर हैं बुनियाद के,उड़ने से जिन्हें रोक न पाये, जालिम पंजे सैय्याद के।कतरा कतरा खून से लिखे हिंद का वो भूगोल,वो देश के सच्चे पूत,आज कलम उनकी जै बोल।प्रशस्त किया था मार्ग जिन्होंने,…
मैं बुराइयों को खुद से बहुत दूर कर दूंगा..शख्शियत को अपनी कोहिनूर कर दूंगा.. देगा अगर जमाना ढेरों जख्म मुझ को..तो खुशी से उसके गुरुर को चूर कर दूंगा.. गर हँसेंगी दुनिया मुझ को रुला के बहुत..मैं…
जन्म इस दुनिया में जिसने लिया है..एक मुकर्रर वक्त तक वह जिया है..बचाने के लिए गरल से जगत को..घूंट शिव शंकर ने जहर का पिया है.. लक्ष्मी नारायण शिव पार्वती की तरह..साथ में श्री राम चंद्र जी…
खेत सींचकर परिश्रम से हरा होता है..तप कर ज्वाला में सोना खरा होता है..मिलता है मोती उसी जगह में दोस्तो..समुन्दर जहां पर बहुत गहरा होता है.. करीबियों ने ही चोट जब दी हो तो..दर्द ज्यादा और जख्म…
जब कोई नदी साहिल छोड़ देती है..रास्ते की हर एक बाधा तोड़ देती है..इंसान की बिजली बनाने की चाहत..बहते दरिया का रूख मोड़ देती है.. मदद कर जनता की वो दुआएं..बदले में हजारों करोड़ देती है..हार जाता…