खेत सींचकर परिश्रम से हरा होता है..
तप कर ज्वाला में सोना खरा होता है..
मिलता है मोती उसी जगह में दोस्तो..
समुन्दर जहां पर बहुत गहरा होता है..
करीबियों ने ही चोट जब दी हो तो..
दर्द ज्यादा और जख्म बड़ा होता है..
यह सब मुमकिन है किसी अपने का..
जमीर जब बेहयाई से भरा होता है..
फंसता नहीं गुनाह के दलदल में वो..
जो जुर्म के अंजाम से डरा होता है..
भुगतता कुनबा भी है कोई उनका..
जब मुजरिम की मौत मरा होता है..
अंधेरे को चीरते दिए को देखिए..
देखकर उसे हौसला खड़ा होता है..
जीतता वही है संग्राम में जिंदगी के..
मुश्किलों से जो पुरजोर लड़ा होता है..
देखकर हुस्न डगमगाइयेगा मत हूजूर..
ख्वाहिशों पर हदों का पहरा होता है..
सच्चे प्रेम की क्या मिसाल दूं उस पर..
तकलीफों का असर जरा होता है..
- नीरज चंद्र जोशी..
3 Comments
Dr Akshay
बेहतरीन रचना
Neha
Very nice sir jiw
Dr. HEMA BISHT
Impressive imbue