समकालीन परिदृश्यों में जन्म लेता साहित्य जब वेदना से संवेदना तक की यात्रा तय कर कल्पना के कोर में हिलोर भरते हुए यथार्थ के धरातल पर अपने पाँव रखता है तब उसके शब्द मानव मन के आँगन…
समकालीन परिदृश्यों में जन्म लेता साहित्य जब वेदना से संवेदना तक की यात्रा तय कर कल्पना के कोर में हिलोर भरते हुए यथार्थ के धरातल पर अपने पाँव रखता है तब उसके शब्द मानव मन के आँगन…