जंग लगी तलवारों पर अब धार चढ़ानी होगी..
मंजिल पर हम ने अपनी नजर गढ़ानी होगी..
आती है तो आने दो राहों पर कितनी भी कठिनाई..
चलकर हमने काँटों पर अपनी रफ्तार बढ़ानी होगी..
सांपों से आस्तीन के बचाना है गर मातृभूमि को..
जिम्मेदारी जो भी आए हमें जरूर निभानी होगी..
बच्चे बच्चे में भारत के देशप्रेम का जज्बा आए..
राम कृष्ण वीर शिवा की दास्तान सुनानी होगी..
महरूम न रह जाए देश का कोई गरीब पढ़ाई से..
स्कूल के साथ उच्च शिक्षा भी मुफ्त दिलानी होगी..
एक हैं सब चाहे हों गुरु नानक ईश्वर ईसा पैगम्बर..
अच्छी तरह हमने सबको यह बात समझानी होगी..
जाति का है कोई छोटा कोई जाति बड़ी औरों से..
गलतफहमी की आपस में यह दीवार गिरानी होगी..
- Neeraj Chandra Joshi ..
1 Comment
पूजा
Very nice poem sir ji