धीरज

हो अगर दलदल तो पग अपने जमाकर रखिये..
हाथ मदद का सेवा को सब की बढ़ाकर रखिये..
कौन कहता है पानी रुक नहीं सकता छलनी में..
बर्फ बनने तक धीरज तो अपना बनाकर रखिये..

करीबी ही करते हैं पीठ में छुरा घोंपने का काम..
चाहने वालों को अपने हर हाल में मनाकर रखिए..
कठिनाइयां आती हैं जरूर शूरवीरों की राह में..
आने वाली मुसीबतों को साहस से हराकर रखिए..

अपने परिजनों के काम अगर आना है मौत के बाद..
जीवन का अपने बीमा हर हाल में कराकर रखिए..
जीतना है खिताब अगर भागदौड़ में जिन्दगानी की..
कमजोरियां अपनी प्रतिद्वंदी को मत बताकर रखिए..

भूलकर भी कभी करिए मत बेईमानी किसी के साथ..
जमीर को अपने कुछ इस तरह से जगाकर रखिए..
कमतर मत समझना दूसरों को अपनी तुलना में..
अहंकार को अपने मन मस्तिष्क से हटाकर रखिए..

जुर्म या गुनाह कोई हो ना जाए आपसे अनजाने में..
मुजरिमों की संगत से खुद को हमेशा बचाकर रखिए..
सच है ये खाली दिमाग में होता है वास शैतान‌ का..
दिल अपना भगवान की भक्ति में सदा लगा कर रखिए..

              -  नीरज चन्द्र जोशी ..

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