नजीर

पानी से तस्वीर नहीं बनती..
ख्वाबों से तकदीर नहीं बनती..

कितने बड़े सपने तुम देख लो..
बिना मेहनत के नजीर नहीं बनती..

बेकार कोशिश करके क्या फायदा..
कड़ी जोड़े बिना जंजीर नहीं बनती..

कोई ध्यान नहीं देगा तुम्हारी बातों में..
अगर भाषा तुम्हारी गंभीर नहीं बनती..

सभी रिश्तों को दिल से निभाओ..
बिना रांझे के कोई हीर नहीं बनती..

सहना पड़ता है कष्ट मंजिल पाने में..
लोहे को तपाये बिना शमशीर नहीं बनती..

– नीरज चंद्र जोशी

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