विधान

जन्म इस दुनिया में जिसने लिया है..
एक मुकर्रर वक्त तक वह जिया है..
बचाने के लिए गरल से जगत को..
घूंट शिव शंकर ने जहर का पिया है..

लक्ष्मी नारायण शिव पार्वती की तरह..
साथ में श्री राम चंद्र जी के सिया है..
आकर ब्रह्म लोक से परम पिता ने..
निर्माण इस मुकम्मल सृष्टि का किया है..

भुगतना है सभी को अंजाम कर्मों का ..
इस के लिए पुनर्जन्म की प्रक्रिया है..
अवतार लेना भगवान के लिए जग में..
अधर्म खत्म करने का एक जरिया है..

साकार कोई माने कोई माने निराकार..
सभी का अपना अपना नजरिया है..
अनुसरण करता है सदा जो धर्म का..
मोक्ष का प्रभु ने उसको वरदान दिया है..

         - नीरज चंद्र जोशी..

2 Comments

  • Posted March 13, 2023 10:32 am
    by
    Saroj

    Fantastic lines sir jiw

  • Posted March 16, 2023 5:05 pm
    by
    ज्योत्स्ना ज्योति

    Nice poem

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