रिवाज

हावी जमीं पर अब अत्याचार हो गया है..
शुरू आड़ में पश्चिम की दुराचार हो गया है..
हो गया संसार कलंकित अब रिश्तों और नातों का..
विवाह अब बंधन नहीं एक व्यापार हो गया है..

मांगा जाता है दहेज अब हर एक शादी में..
परिवार वधू का चला जाए बेशक बरबादी में..
दहेज अधिकाधिक पाना अब सम्मान हो गया है..
उड़ाना लाखों करोड़ों अब कन्या दान हो गया है..

वधुएं दहेज के लिए जलाई आज जाती हैं..
लालसा में असीम गोदें बच्चों की भराई जाती हैं..
कन्या भ्रूण हत्या करार अब हो गया है..
पत्नी पर पति का एकाधिकार हो गया है..

    -  नीरज चन्द्र जोशी

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