जज्बात

मुफलिसों के लिए एहतराम रखते हैं..
शौक दिल में हम भी तमाम रखते हैं..

उन गुनहगारों से हम कभी डरते नहीं..
मुजरिम जो नाम अपना बदनाम रखते हैं..

आस्तीन में रहकर हमारी हमें डसता है जो..
उस जाहिल के साथ ना कोई कलाम रखते हैं..

पहचान न सके कोई जुर्म करने के बाद..
दुष्ट हुलिया बदलने के लिए हमाम रखते हैं..

जुल्म के खिलाफ खड़े होने वाले के लिए..
उस के काम का सरफरोशी नाम रखते हैं..

आबरू के लिए वतन की जांनिसार होता है जो ..
उस सिपहसालार के लिए हम भी सलाम रखते हैं..

              - नीरज चंद्र जोशी..

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