धन्य छ उ मतारि जैले चेलिस जन्म दीछ।
चेलि ले घरछ सम्पन्न करनाकि जिम्मेदारी ल्हीछ।।
अगर नी हुनि चेलित को जन्म दिनो चेलान?
को बचूंनो अपनो पेट काटि उनरि ज्यान?
कैथैं कूंना हम पुज्यू, कैंजा जेड़जा और काखी?
कैक दगाड़ करना ब्या कैथें बंधूंना राखी?
एक मतारी बच्चान को जीवन संवारि सक्छि।
ढ़ाल बनि हात पकड़ि गाड़- गध्यार तारि सक्छि।।
दिन रात हर क्षण उ ज्यान लगै करछि काम।
नीं मिलनो वीस कभै जीवन में द्वी पल आराम।।
बलि दी बेर अपना स्वीनान्कि उ छजूंछि घरबार।
जोतीनाकी रूंछिठण्ड, गरम, बर्खा में लगातार।।
प्रेम, श्रद्धा, दया और धैर्यकि मूरत छ उ।
धरती में हर पुरुषकि जरुरत छ उ।।
दु:खाक आंसूनूले उ कल्जो अपनो तिन्यूंछि।
रिश्तोंनकि क्यारी कें सुखाक अमृतैले कुल्यूंछि।।
धन्य छ उ मतारि जैले चेलिस जन्म दीछ।
चेलिले घरस सम्पन्न करनेंकि जिम्मेदारी ल्हीछ।।
- नीरज चंद्र जोशी
न्यू सेरा जीआईसी रोड पिथौरागढ़