फूल अच्छे हैं पैगाम खुशबू का देते हैं..
कांटे अच्छे हैं दामन थाम लेते हैं..
उन सभी चाहने वालों का शुक्रिया..
जो हर महफिल में नाम मेरा लेते हैं..
अहमियत नहीं है कम इन नदियों की..
दरिया के पानी को हम सभी पीते हैं..
बारिश में धूप आने पर इंद्रधनुष..
आसमान में सात रंगों को बिखेरते हैं..
डरते नहीं हम अंगारों तूफानों से..
मातृभूमि मां भारती के हम चीते हैं..
खतरा भी रहता है खौफजदा हमसे..
जान हथेली में हम रखकर जीते हैं..
- नीरज चंद्र जोशी..