औरत पहाड़ की मेहनत की मिसाल है..
मुसीबत के वक्त परिवार की वह ढाल है..
स्वरूप नव दुर्गा का है वह मगर आज..
मार पलायन की झेलता उस का लाल है..
कुपित होती नहीं अपने बच्चों के प्रश्न से..
जवाब उसके पास है चाहे कोई सवाल है..
जिह्वा में विराजमान उसके देवी सरस्वती..
बनती जब कालिका दुश्मनों का काल है..
करती है दिन रात हर क्षण परिश्रम वह..
चलती इस तरह जैसे सिंहनी की चाल है..
सामने उपस्थित हो जैसे देवी पार्वती जब..
हाथ में सुशोभित उसके पूजा का थाल है..
करती है पशु पालन और खेती बाड़ी वह..
झुकता नहीं कष्टों में भी उस का भाल है..
गुजरती नित है वो कांटों से भरी राह पर..
कठिनाई सब झेलकर भी वो कमाल है..
हिमालय में स्थित इस देवों की भूमि में..
बनती है चंडिका वह जब होता बवाल है..
संकट बहुत दूर रहते हैं उसके प्रताप से..
है उसका आशीर्वाद तो हर घर खुशहाल है..
- नीरज चंद्र जोशी ..