जीत किसके लिए और हार किसके लिए..
जीवन भर जारी ये तकरार किसके लिए..
जन्म लेने वाला हर हाल में जायेगा एक दिन..
फिर यह धन दौलत का अम्बार किसके लिए..
व्यक्ति रूप से नहीं गुणों से सुंदर होता है..
तो इतने आभूषण और अलंकार किसके लिए..
सुना है पैंसो से खरीदे नहीं जा सकते रिश्ते नाते..
तो दहेज के तौर पर शादी में ये उपहार किसके लिए..
जब विवाह दो दिलों का गठबंधन होता है..
तब दूल्हे की नीलामी का ये व्यापार किसके लिए..
सभी इंसान एक ही भगवान की संतान हैं अगर..
तो जातिगत ऊंच नीच का झूठा अहंकार किसके लिए..
मंदिरों में अगर भेदभाव नहीं किया जाता भक्तों के साथ..
तो वीआईपी दर्शन और अमीरों का सत्कार किसके लिए..
हक बराबर होना चाहिए सबका भगवान पर..
आम जनता की लंबी कतार किसके लिए..
अगर धर्मनिरपेक्ष है ये भारत देश हमारा..
तो हिंदू मंदिरों पर सरकार का अधिकार किसके लिए..
यदि संविधान और कानून सबके लिए बराबर है..
तब कश्मीर में हिंदुओं का हो रहा नरसंहार किसके लिए..
फन कुचलना आस्तीन के सांपों का अगर मुमकिन नहीं है..
तब राजपथ पर सम्राट अशोक के शेर की दहाड़ किसके लिए..
दुश्मन पर इजराइल की तरह वार नहीं कर सकते हैं हम..
तो अग्नि, पृथ्वी, ब्रह्मोस और बाकी हथियार किसके लिए..
- नीरज चंद्र जोशी ..