प्रेम तन की प्यास नहीं है यह दिलों का जुड़ना है..
इस युद्ध में हार गया वो सीखा जिसने लड़ना है..
शिकस्त हो या जीत हो मुकद्दर के इस खेल में..
अपनी चाहत को हमने प्यार से हासिल करना है..
खयाल नाकामी का भूल कर तुम यह ठान लो..
छोटे से जीवन में हमको हर पल आगे बढ़ना है..
संकल्प यह लेकर हृदय में डर ऊंचाई का छोड़ दो..
फतह करने चोटी को हमने सीधे ऊपर चढ़ना है..
भरोसा है जिन्हें खुद पर है किस्मत उनकी जेब में..
कर्मवीर तुम हो मनुज फिर क्यों नसीब से डरना है..
इस जहां से ढोकर ऊपर कौन क्या ले जाएगा..
एक रोज तो हम सब ही को बूढ़े होकर मरना है..
- नीरज चंद्र जोशी ..