वफा

तुमसे रूठकर कोई नया शख्स मैंने पाया नहीं..
तुम्हारे अलावा किसी को दिल में बसाया नहीं..

भटकते फिरे चाहत के लिए दरबदर कायनात में..
तुमसे बेहतर आज भी हमें कोई नजर आया नहीं..

बहुत बेशुमार कारवाँ है हमारे कदरदानों का..
मगर सिवा तेरे दिल को कभी कोई भाया नहीं..

आ न सके हम बेइंतहां इंतजार कराया तुमको..
हम मजबूर थे राज तुम्हें हमने यह बताया नहीं..

दूरियां हमारे दरमियां बहुत ज्यादा थीं मगर..
ये न सोचना यादों ने तुम्हारी हमको सताया नहीं..

दिले नादान में दर्द ओ सितम ने जब घेरा मुझको..
मैं मुस्कुराते रहा किसी को हालएदिल दिखाया नहीं..

जिंदगी की राह में हमसफर बहुत मिलते रहे मगर..
तुझको भूलकर किसी और से दिल लगाया नहीं..

                                   -  नीरज चन्द्र जोशी ..

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