चूम लूँ मैं मौत को अगर दुआ मेरी यह कबूल हो..
राख मेरे तन की भारत मां के चरणों की धूल हो..
खुशकिस्मत है कुर्बान होना मातृभूमि के लिए..
हजार कांटों के बीच जैसे खिल गया एक फूल हो..
रास्ते मंजिलें बदलें पर हदें अपनी मालूम रहें..
अपनी काबिलियत पर ना मुझे कभी गुरूर हो..
भुला दूं अपनों को अन्धी दौड़ में जिन्दगी की..
अनजाने में भी नहीं मुझ से कभी ऐसी भूल हो..
निराशाओं के बवंडर में अडिग मैं डिगा रहूं..
मरूस्थल में अकेले खड़ा जैसे कोई बबूल हो..
मेरे दुश्मनों के तन और बदन में उमड़ रही..
उम्मीदों को मेरी बिखेरने की आशंका फिजूल हो..
विश्व में अज्ञान के अंधकार को विजित करूं..
जो बुरा मेरा चाहें गठजोड़ उनका निर्मूल हो..
निष्पक्ष रह नहीं सकता कोई भी धर्म युद्ध में..
जय हो या हार हो पर प्रयास जरूर हो..
दीपक ज्ञान का मिटा रहा तम रूपी अंधेरे को..
भेद रहा अधर्मियों को ज्यों महादेव का त्रिशूल हो..
दिन रात प्रार्थना मैं परमात्मा से यह कर रहा..
विधाता सदा सर्वदा मेरी जीत के अनुकूल हो..
- नीरज चंद्र जोशी..
4 Comments
Neha
Very nice lines sir
Dr-Bhawna pant
Awsm lines Neeraj sir
Dr. Akshay
Bahut khub uttam kavita
Jyotsana
Bahut sundar