मातृ शक्ति

औरत पहाड़ की मेहनत की मिसाल है..
मुसीबत के वक्त परिवार की वह ढाल है..
स्वरूप नव दुर्गा का है वह मगर आज..
मार पलायन की झेलता उस का लाल है..

कुपित होती नहीं अपने बच्चों के प्रश्न से..
जवाब उसके पास है चाहे कोई सवाल है..
जिह्वा में विराजमान उसके देवी सरस्वती..
बनती जब कालिका दुश्मनों का काल है..

करती है दिन रात हर क्षण परिश्रम वह..
चलती इस तरह जैसे सिंहनी की चाल है..
सामने उपस्थित हो जैसे देवी पार्वती जब..
हाथ में सुशोभित उसके पूजा का थाल है..

करती है पशु पालन और खेती बाड़ी वह..
झुकता नहीं कष्टों में भी उस का भाल है..
गुजरती नित है वो कांटों से भरी राह पर..
कठिनाई सब झेलकर भी वो कमाल है..

हिमालय में स्थित इस देवों की भूमि में..
बनती है चंडिका वह जब होता बवाल है..
संकट बहुत दूर रहते हैं उसके प्रताप से..
है उसका आशीर्वाद तो हर घर खुशहाल है..

– Neeraj Chandra Joshi ..

6 Comments

  • Posted February 3, 2023 10:25 am
    by
    Neha upreti

    Very gud lines ji

  • Posted February 3, 2023 10:28 am
    by
    Kavita sharma

    Vah vah nicee

  • Posted February 3, 2023 10:32 am
    by
    ज्योत्स्ना ज्योति

    Inspirable poem

  • Posted February 3, 2023 10:34 am
    by
    Dr- Akashay

    प्रशंसनीय काव्य रचना गुरूदेव

  • Posted February 3, 2023 10:43 am
    by
    Rachna pant

    बहुत खूब पोएम सर जी

  • Posted February 3, 2023 10:46 am
    by
    Neeraj Chandra Joshi

    धन्यवाद जी

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