हँसती है, हँसाती है
फूलों सी मुस्काती है
प्यारी बिटिया रानी मेरी
अक्सर माँ बन जाती है।।
घर में सबसे प्यार जताती
प्रेम के चुम्बन कभी लुटाती
कभी उदास जो देखे मुझको
माथा भी सहलाती है।।
प्यारी बिटिया रानी मेरी
अक्सर माँ बन जाती है।।
माँ से अपनी गप्प लड़ाती
जाने कितनी बात बनाती
भावलोक में ख़ूब विचरती
हमको भी बहलाती है।।
प्यारी बिटिया रानी मेरी
अक्सर माँ बन जाती है।।
घर में ख़ूब शरारत करती
करतब अजब-अनोखे करती
देख के माँ की टेढ़ी नज़रें
पास मेरे छुप जाती है।।
प्यारी बिटिया रानी मेरी
अक्सर माँ बन जाती है।।
गाती गीत सुरीले स्वर में
कभी नृत्यरत अपनी धुन में
सुर-लय-ताल से ये घर-आँगन
ये ही रोज़ सजाती है।।
प्यारी बिटिया रानी मेरी
अक्सर माँ बन जाती है।।
पुत्री तू ईश्वर की वाणी
वीणा की झनकार सुहानी
भाव मेरे यह तुझे समर्पित
लेखनी शब्द लुटाती है।।
प्यारी बिटिया रानी मेरी
अक्सर माँ बन जाती है।।
दिनेश चंद्र पाठक “बशर”
प्रदेश महामंत्री
हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय)
उत्तराखंड