जीवन

औरत पहाड़ की मेहनत की मिसाल है..
मुसीबत के वक्त परिवार की वह ढाल है..

स्वरूप नव दुर्गा का है वह मगर आज..
मार पलायन की झेलता उस का लाल है..

करती है वह पशु पालन और खेती बाड़ी..
झुकता नहीं कष्टों में भी उस का भाल है..

ऊंचे पर्वतों पर चढ़कर घास काटती है वो..
साधारण सीधी सादी होकर भी कमाल है..

दूध दुहना, सिंचाई खेतों की करती है वो..
संयुक्त परिवार रूपी नाव की वह पाल है..

अपने बच्चों के लिए हर संकट सहती है वो..
बदौलत उसकी कुटुंब उसका खुशहाल है..

जीती है जिंदगी वह हमेशा दूसरों के लिए..
खुद के लिए समय का उसके पास अकाल है..

करती है कोशिश हर मुश्किल से जूझने की..
कितना ही बड़ा सामने चाहे कोई भी बवाल है..

समेट लेती है वो खुद में सैलाब आंसुओं का..
टूटने का ख्वाबों के जब होता उसे मलाल है..

आती हैं खुशियां फिर तन्हा रातों के बाद..
जीवन ये सुख दुख के धागों का जंजाल है..

    - नीरज चंद्र जोशी ..

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