अश्लीलता टीवी में दिखाई जा रही है..
नारी बिकने की वस्तु बताई जा रही है..
धारावाहिकों में रोमांस के दृश्य डालकर..
छोटे बच्चों को कामुकता सिखाई जा रही है..
नहीं कर रहा विरोध कोई भी इसका भारत में..
मानसिकता बच्चों की दूषित कराई जा रही है..
दुनियादारी नन्हे मुन्नों को मालूम तो होती नहीं..
फिल्में बचपन में उनको जवान बनाई जा रही हैं..
महाकाव्यों और पुराणों में बहुत है दिखाने के लिए..
मनोरंजन के लिए संस्कृति पश्चिमी लाई जा रही है..
बताती हैं मकसद जिंदगी का ये सिर्फ इश्क करना..
मोहब्बत के नाम पर फूहड़ता दिखलाई जा रही है..
मां बाप अपने रिश्तेदारों को प्यार का दुश्मन बताकर..
किशोरावस्था से ही लड़कियां फुसलाकर भगाई जा रही हैं..
- नीरज चंद्र जोशी ..