निराश होना नहीं तू कहीं हार के..
काँटों में ही होते हैं फूल बहार के..
होती है जीत हरदम हिम्मत वाले की ..
लड़ता डटकर है जो चुनौती स्वीकार के..
चाहे तुम कितना भी ठोक और पीट लो..
ढलता सोना नहीं बिना आग में ढाल के..
तूफान समंदर में जाने कब क्या कर बैठे..
नाम लेना प्रभु का तुम बीच में मझधार के..
खड्ग लाखों हजारों अगर तुम बना भी लो..
मोल नहीं तलवार का उस में बिना धार के..
मुसीबतें राह में बेशुमार आती हैं तो आने दो..
बढ़ते जाना तुम आगे हर बाधा को पछाड़ के..
- नीरज चंद्र जोशी ..