अरमान

खुशियाँ कम अरमान बहुत हैं..
लोग यहां परेशान बहुत हैं..

जीवन का उद्देश्य कुछ नहीं..
चहुं ओर नादान बहुत हैं..

मानते हैं जायदाद स्त्रियों को..
जिनका जग में सम्मान बहुत है..

तीसमारखां कहते खुद को..
पद का उनको गुमान बहुत है..

नश्वर इस क्षणभंगुर जीवन में..
करने को ऐशो आराम बहुत हैं.

खाली हाथ है जाना दुनिया से..
चाहे पास सामान बहुत है..

कब धनवान निर्धन बन जाए..
समय सबसे बलवान बहुत है..

खुद के लिए तो करते हैं सब..
दूजों के लिए जियो गुणगान बहुत है..

सच का कोई खरीददार नहीं है..
झूठ की देखो पहचान बहुत है..

मिलता नहीं है सच्चा साथी..
कहने को इन्सान बहुत हैं..

                      - नीरज चंद्र जोशी..

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