निर्दयी

             भोर की पहली किरन कासंदेशा कुक्कुट ही लायाफिर क्यों रे तुच्छ मानव !तूने उसे निवाला बनाया ।जल को स्वच्छ मीन करतीउसे भी विचरने न दियाजाल और काँटे से उसकाभी तो वध तूने किया ।हिरन का स्वच्छन्द चरना…

आहट

सुनाई देती है आहट तुम्हारीजैसे अभी तुम आ ही रही होसपना है या ये भ्रम का अंधेरासूरत नज़र आ रही ना तुम्हारी ।बेचैन मन ये पागल हुआ क्योंआखिर ये सपना आया ही क्यों थाअसर है शायद यही…

वृक्ष धरा के आभूषण

वृक्ष धरा के आभूषण॥🌿॥॥🌻॥॥🌿॥मैं भी एक परिंदा होता,               स्वछंद विचरता नीले नभ मेंइस प्रकृति के शुभ शृंगार का,                            अवलोकन करता।पर एसा कैसे हो सकता है,                         तुच्छ एक मैं मानव हूँक्रूरता का दाग ऐसा,                       मानव हूँ या दानव…

दूरियाँ

__/\__/\__नई – पुरानी पीढ़ी कीपिता और पुत्र कीसास और बहू कीघर के ही आँगन मेंबढ़ रही हैं दूरियाँ ।वसन्त पिछले जैसा नहींबरसात भी पहले जैसी नहींभाई से भाई के बीचमानव से मानव के बीचक्यों बढ़ रही दूरियाँ…

लक्ष्मी

विपिनभाई सरकारी स्कूल में अध्यापक थे। सेवानिवृत्ति के बाद गाँव में अपने पुश्तैनी घर में आ गये, उनके दो बेटे थे एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर और दूसरा शहर के इन्टर कालेज में लेक्चरर लग गया था।…

निर्मोही

निर्मोही ! तू चला कहाँमुझे छोड़  इस निर्जन वन में ।खड़े भेड़िये अनगिनतजीभ लपलपाते मानव तन में ।मनुष्यता यहाँ नहीं हैदानवता का तम फैलासूरज भी असहाय साविचर रहा है नीलगगन में ।वनचर भी हैं उदासदेख भेड़ियों की…

कहाँ है भगवान्

हम स्वयं को जानते नहींबातें  बुजुर्गों की मानते नहींकहाँ है भगवान ? हम कहते हैंअपने आस-पास देखते नहीं ?वो देखो खिलती कलियों कोकल-कल करती नदियों कोझर-झर बहते झरने कोगरजते मचलते सागर कोक्या इनमें भी नजर आता नहीं…

विनय

मैली इस तन की चादर कोधोऊं किस पानी सेकौनो जतन बताओ मुझकोउजली होवे फिर से। धोऊं किस पानी सेज्ञान नहीं कोई ध्यान नहीं हैना जप तप ना पूजामारग कठिन है प्रभु से मिलन कातारण हो किस विधि…

दर्द-ए-दिल

आइये आ जाइये हाय अब आ जाइएदूर जाने का सबब, जान-ए-जां फरमाए ।हम तुम्हारे हो चुके अब, तुम बनो या ना बनोदर्द-ए-दिल किसको सुनायें, इस बहाने आइये।इस कदर ना रूठिये, हम मना ना पायेंगेतोड़िये ना दिल हमारा,…

उदासी

तुम जब उदास होती होसखि  ! मन मेरा घबराता हैइन अलसाई आँखों मेंसमन्दर नजर आता है।हँसती रहो हँसती हुई तुमकितनी अच्छी लगती होकि जैसे चाँद पूनम काहर तरफ नजर आता है ।यूँ तो उदासी  किसी की होकभी…

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