गिलहरी और जामुन

गाँव के किनारे जङ्गल  में एक विशाल जामुन का वृक्ष था । लंगूर व बन्दर बडे चाव से उसके फल खाते , कभी उसकी टहनी तोडते , खूब उछल-कूद मचाते रहते थे, रात्रि में हिरनों की टोली…

चुनरी (भजन)

चुनरी में लागा दाग रीअब कौंनो जतन करूँ ।चुनरी मोरी रंग रंगीलीया में जड़े थे हरि नाम के मोतीकबहुँ न कीनो राग री। अब कौनो….नाहीं जप तप भजन न कीनाहरि सुमिरन तो कबहुँ न कीनाफूटे मेरे भाग…

अपना देस अपना परिवेश

खुश था मैं मगर एक दिनमिल गयी मैकाले वालीशिक्षा से उपजी हुई बुद्धिउसने मुझे बरगला दियाबरगला क्या पगला दियादेखने लगा मैं बुराइयाँअपने धर्म अपने समाज मेंअपने ग्रन्थ और पुराणों मेंभगवान मेरे दुश्मन हो गयेमन्दिर मुझे नापसन्द हो…

निवेदन

हे परमेश्वर! हे जगदीश्वर!जग है सारा तुमपर निर्भरसाकार हो तुम और निर्विकार भीजल थल के तुम ही आधार । हे परमेश्वर!सृष्टि बनाई जगत् रचायापशु पक्षी और वनचर जायालता वृक्ष और पुष्प बनायेधरती के शृंगार सजायेसोच तुम्हारी अपरम्पार।…

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