वैश्विक सांझे भविष्य की परिकल्पना- जी 20 का लोगो और आधार वाक्य। बीना नयाल

इस समय राजधानी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय संगठन जी- 20 की मेजबानी के लिए काफी उत्सुक और तैयार है। हो भी क्यों ना भारत को पहली बार अंतरराष्ट्रीय संगठन G- 20 का नेतृत्व और मेजबानी का अवसर जो मिला है ।मेहमानों के स्वागत के लिए दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया है। प्रगति मैदान में विशाल एकड भूमि में 2300 करोड़ की लागत से बना “भारत मंडपम” विशालकाय आधुनिक अवसंरचना है जो कई वैश्विक रिकॉर्डों को ध्वस्त करने के साथ-साथ भारत के आध्यात्मिक, आर्थिक , सांस्कृतिक और वैश्विक गौरव गाथा को बड़ी खूबसूरती से प्रदर्शित करती प्रतीत हो रही है।भारत की G-20 की मेजबानी हेतु भौतिक तैयारी तो शीर्षतम स्तर की है ही, लेकिन सम्मेलन मे भारत की आत्मा G-20 के लोगों व आधार वाक्य में उत्कृष्ट रूप से उभर कर आई है।G20 का लोगो सह आधार वाक्य भारत के आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ साथ उसकी वर्तमान चुनौतियों से निपटने की क्षमता , भविष्य के प्रति आशावादी दृष्टिकोण तथा विश्व व्यवस्था को नवीन दृष्टिकोण से परिभाषित करने का प्रतीक है।G20 के लोगो में कमल के फूल और पृथ्वी को राष्ट्रीय ध्वज के जीवंत रंगों से प्रदर्शित किया गया है। कमल का फूल राष्ट्रीय फूल होने के साथ-साथ विषम परिस्थितियों में विकास व प्रगतिशीलता का प्रतीक है। विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश भारत भाषायी, धार्मिक, सांस्कृतिक , जातीय और सीमा संबंधी चुनौतियों के बावजूद विश्व व्यवस्था के विविध आयामों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है।जल ,थल ,नभ से लेकर अंतरिक्ष तक भारत के विजय अभियान की वैश्विक पताका लहरा रही है। G- 20 के लोगो में कमल के फूल के चारों ओर पृथ्वी का खूबसूरत चित्रण पर्यावरण के प्रति भारत की सजगता तथा उत्तरदायित्व को प्रदर्शित करता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण संपूर्ण पृथ्वी का तापमान जिस प्रकार बढ़ रहा है वह सम्मेलन में भी मुख्य विषय रहेगा। इस दृष्टि से G – 20 का लोगो पृथ्वी को बचाने के प्रति भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता ,जागरूकता तथा प्रयत्नो को व्यक्त कर रहा है।लोगो के नीचे देवनागरी लिपि में भारत तथा इंडिया का समन्वय भारत की पौराणिक यात्रा से आधुनिक भारत तक की यात्रा का प्रतिबिंब है। G-20 सम्मेलन में भारत की थीम तथा आधार वाक्य “वसुधैव कुटुंबकम” है । संस्कृत का यह वाक्य मुंडका उपनिषद से लिया गया है जिसका तात्पर्य है ,संपूर्ण पृथ्वी एक परिवार है। यह आधार वाक्य एक तरह से सृष्टि की उत्पत्ति के वैज्ञानिक रहस्य को उद्घाटित करने के साथ-साथ इसके संदर्भ में वैदिक दृष्टिकोण को भी उजागर कर रहा है।वेदों के अनुसार हम सब मनुष्य मनु की संतान है । पृथ्वी पर अवतरित होने वाले पहले मनुष्य मनु तथा शतरूपा थे, जिनकी संतति के विस्तार से वर्तमान विश्व व्यवस्था का प्रादुर्भाव माना जाता है । वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए तो संपूर्ण सृष्टि अपनी प्रारंभिक अवस्था में एकल पिंड के रूप में थी। बिग बैंग की घटना के पश्चात सृष्टि में क्रमशः विस्तार होता गया।इस प्रकार जड़ व चेतन दोनों ही दृष्टिकोण से संपूर्ण पृथ्वी एक परिवार की भांति ही तो है । वसुधैव कुटुंबकम आधार वाक्य के नीचे One earth, One family, One future वाक्य भारत की भविष्य के प्रति सांझी वैश्विक प्रतिबद्धता को दर्शाने के साथ साथ ,भारत की उदार शांतिपूर्ण सह अस्तित्व और विकास की नीति का भी परिचायक है ।आज हम जिस विश्व व्यवस्था में रह रहे है, सभी राष्ट्र एक दूसरे से इस कदर जुड़ गए हैं कि सीमाओं का महत्व बेमानी सा हो गया है। पर्यावरण प्रदूषण, धरती के तापमान मे बढ़ोतरी , अर्थव्यवस्था का वैश्विक जुड़ाव, राष्ट्रो के परमाणु क्षमता संपन्न होने के बावजूद सांझा भय आदि अनेको ऐसे मुद्दे हैं जिनके समाधान एकाकी रूप से न होकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिवार के रूप में विचार विमर्श और ठोस प्रयासों से ही संभव है।इस प्रकार G- 20 का लोगों व आधार वाक्य वर्तमान विश्व व्यवस्था की समस्याओं के मद्देनज़र भारत की सशक्त भूमिका तथा उत्तरदायित्व को दर्शाने के साथ-साथ विश्व के अन्य राष्ट्रों से कंधे से कंधा मिलाकर समाधान ढूंढने की दिशा में सभी तत्वों को समेटे हुए हैं।उम्मीद है भारत के नेतृत्व में विकसित व विकासशील देशों के समूह G20 के सम्मेलन की मेजबानी से विश्व राजनीति व कूटनीति को नई दिशा मिलेगी। निश्चित ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि वैश्विक शक्ति के रूप में उभर कर आएगी।बीना नयाल 9599310800

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