प्राणवायु

प्राणवायु
🌿🌿🌿
नभ के तारे झिलमिल झिलमिल,करते और शर्माते हैं
चाँद अकेला उन पर भारी, फिर भी वो खुश रहते हैं।
उनकी अपनी अलग कहानी, चाँद तो घटता बढ़ता है
कभी इकहरा कभी है मोटा, यूं ही फिरता रहता है।
गर चाँद न होता कौन देखता, इस नीले नभ की ओर
फिर तारों का अस्तित्व, और उनकी पहचान कहां ।
जैसा भी है नायक है वह, आसमान का प्रहरी है
चाँद बिना नहिं रैन सुहानी, रैना बिन तारे और चाँद।
‘निर्मल’ इस जग में जो है, उसका कुछ कारण होगा
धरा हमारी हरी – भरी हो, प्रकृति से पायें वरदान ।
इसलिए वृक्ष लगायें, वृक्ष लगायें, और लगायें वृक्ष
“प्राणवायु” इनसे है मिलती, जीवन देते हैं ये वृक्ष ।।
_हीराबल्लभ पाठक ‘निर्मल’

Add Your Comment

Whatsapp Me