तकदीर

गैरों को छोड़ो कभी खुद से बात नहीं की..
अपने आप से खुलकर मुलाकात नहीं की..
जो किया सब दिल से किया..
हमने कोई करिश्मा या करामत नहीं की..

हमला किया उन्होंने हमारे चैनो अमन पर..
उनसे पहले हमने जंग की शुरुवात नहीं की..
जिंदा थे वो हमारे रहमोकरम पर..
हमने कभी जिंदगी उनकी बरबाद नहीं की..

न चाहकर भी सामना करना पड़ा उनका..
हम लड़े उनसे मगर उनकी मात नहीं की..
हार गए हम दिल अपना..
मगर लौटने की उनसे दरख्वास्त नहीं की..

राह में जीवन के जो भी मिला मुझ को..
काबिल था प्रभु तूने कोई खैरात नहीं दी..
मेरी खता क्या थी जो तूने..
सुबह होने पर विदा अंधेरी रात नहीं की..

हुआ ऐसा जैसे परमात्मा ने खेती के लिए..
दी धूप जमकर लेकिन बरसात नहीं की..
भगवान ने कायनात में..
सबको दिया मगर मेरी बात नहीं की..

         - नीरज चंद्र जोशी..

1 Comment

  • Posted April 1, 2023 8:32 am
    by
    पूजा

    Bahut sundar

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