सुबहें मां की गोददुपहरी धूप तापीइन शामों में मिलेतो क्या मिले? चली डगरपानी पर बैठी लहरकिनारों में सागर मिलेतो क्या मिले? शिकायत नहींप्रीत से तेरीढलती मिलेतो क्या मिले? मै छांव की चाह मेंशहर _शहरअब गांव भी मिलेतो…
बुझी हुई सी आँखों मेंनैराश्य भाव की बातों मेंकांतिहीन कपोलों परडर से ठिठके बोलों परबल खाती पेशानी परइस निस्तेज जवानी परसंशययुक्त भृकुटियों परमुट्ठी भींचे जीवों परभूखे नंगे शिशुओं परबेबस मां की चीखों परहाड़ बची इन देहों परइन…