अल्हड़ पहाड़न की अनोखी सादगी हो तुम

अल्हड़ पहाड़न की अनोखी सादगी हो तुम,सदाबहार के फूलों की कोई लड़ी हो तुम।। छुईमुई सी सिमटी ना, तितली सी तुम उन्मुक्त हो,स्थिर दीपशिखा के जैसी तेजोमयी हो तुम।। उदार हिरदय हो मगर, फिर भी धनी हो…

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