जीवन-यात्रा के साथ

जीवन-यात्री हम सभी,इस जीवन कालचक्र के,हमारी पीठ पर गहरी बँधी,गठरी अपेक्षाओं की।समोये यह गठरी पता नहीं क्या-क्या ?तुड़ा – मुड़ा, कुछ जीर्ण- कुछ नव्य सा,ये ,वो ,ऐसा, वैसा ,किंतु ,परंतु —-कुछ रंग उड़े,कुछ सीलन से भरे,तो कुछ…

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