जाने कितने दिलों की हसरत है
है तेरा हुस्न, या क़यामत है ??
सब्र ना चैन, उलझनें दिल में
ये तेरा इश्क़ एक आफ़त है।।
दिल कहे होंठ चूम लूँ तेरे
होश कहता है ये तो वहशत है।।
मेरे शानों पे सर तुम्हारा हो
इसी दुनियाँ में फिर तो जन्नत है।।
मेरी नज़रों की हर शरारत को
तुम बढ़ावा दो ये ही चाहत है।।
तेरी आँखों से चुरा ले काजल
इक ‘बशर’ में ही इतनी हिम्मत है।।
दिनेश चंद्र पाठक ‘बशर’।।
4 Comments
Dina Nath Joshi.
बहुत सुंदर प्रस्तुती।
Dinesh Chandra Pathak
हार्दिक आभार आदरणीय
डॉ कविता भट्ट शैलपुत्री
बहुत सुन्दर
Dinesh Chandra Pathak
हृदयतल से धन्यवाद आदरणीया