है तेरा हुस्न या क़यामत है

जाने कितने दिलों की हसरत है
है तेरा हुस्न, या क़यामत है ??

सब्र ना चैन, उलझनें दिल में
ये तेरा इश्क़ एक आफ़त है।।

दिल कहे होंठ चूम लूँ तेरे
होश कहता है ये तो वहशत है।।

मेरे शानों पे सर तुम्हारा हो
इसी दुनियाँ में फिर तो जन्नत है।।

मेरी नज़रों की हर शरारत को
तुम बढ़ावा दो ये ही चाहत है।।

तेरी आँखों से चुरा ले काजल
इक ‘बशर’ में ही इतनी हिम्मत है।।

दिनेश चंद्र पाठक ‘बशर’।।

4 Comments

  • Posted May 29, 2022 8:23 am
    by
    Dina Nath Joshi.

    बहुत सुंदर प्रस्तुती।

  • Posted May 29, 2022 9:20 am
    by
    डॉ कविता भट्ट शैलपुत्री

    बहुत सुन्दर

    • Posted May 29, 2022 3:44 pm
      by
      Dinesh Chandra Pathak

      हृदयतल से धन्यवाद आदरणीया

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