बालगीत – तेरी लोरी मोरी मैया

वो तेरी लोरी मोरी मैया
नैनों में लाती है निंदिया
तेरी गोदी ही मेरी शैया
आँचल अपना उढाती मैया
वो तेरी—————–।।

सीने से लगाना ममता लुटाना
थप-थप करके तेरा सहलाना
वो कर्ण प्रिय संगीत सुनाना
मेरे जेहन में है वो प्यार तराना
वो तेरी——————-।।

वो भूमि से भारी मोरी मैया
चलती है मेरी बनके छाया
उंगली पकड़ चलूँ तेरी मैया
माँ तू ही खिवैया तू ही गवैया
वो तेरी——————-।।

वो बालमन में मेरा रुठ जाना
तेरा मनाना मनाकर हँसाना
छोटी मगर साँची बातें बताना
यादें हैं दिल में सबकुछ लुटाना
वो तेरी——————–।।

मोरी मैया जीवन की बगिया
पुष्प परागों की खुशबू है मैया
मीठे से झरने का पानी है मैया
चारों धाम काशी मथुरा है मैया
वो तेरी ————————-।।

रचयिता–रोशन बलूनी
प्रवक्ता हिन्दी
अ0उ0रा0इ0का0नौगाँवखाल
एकेश्वर पौडीगढवाल
उत्तराखण्ड

श्री रोशन बलूनी जी छंदबद्ध कविता पर अधिकार रखने वाले कवि हैं। आपके तीन काव्य संग्रह ‘मैं शैलों की आवाज़ मुखर हूँ’, ‘गीत मंजूषा’ तथा ‘ऐ वतन’ प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी कई रचनाओं को विविध मंचों से सम्मानित किया जा चुका है तथा आप ‘हिंदी साहित्य भारती’ (अंतरराष्ट्रीय) के जनपद महामंत्री (पौड़ी जनपद) हैं।
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