एहसासों की धुरी पर
मन का मचलना
बहक सा गया,
वो निगाहें मिलाते
रह गये
और दिल का धड़कना
ठहर सा गया।
कोमल – कोमल से
शब्दों पर
रिमझिम प्यार की
बूंदें सी।
वफ़ा की आस
विश्वास के पथ पर
राह जैसे कोई अधूरी सी।
सांसे सरगम
जब गाती हैं
लम्हा -लम्हा महकता है
मैं तुझमें जिन्दा रहती हूं
तू मुझमें जिन्दा रहता है।
मैं बुनती हूं
स्वप्न सलोने
जीवन के ताने- बाने में
हरे रंग की
चूनर मेरी
रंग गई प्यार के
फसाने में
तरंगित मन में
बसेरा ले ले
आंसू को मोती
बना लें अब,
ओ साथी
मेरे जज्बातों को
आकर गले लगा ले अब।
शशि देवली
चमोली उत्तराखण्ड
कवयित्री ‘देवभूमि दैनिक न्यूज़’ पोर्टल की संपादक हैं। इसके अतिरिक्त हिंदी काव्य संकलन ‘हिमालय की गूंज’ तथा गढ़वाली काव्य संकलन ‘फुलारी’ का संपादन कर चुकी हैं। कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। आप ‘काव्य मंजरी साहित्यिक संस्था’ (राष्ट्रीय) की प्रदेश प्रभारी होने के साथ ‘हिंदी साहित्य भारती’ (अंतरराष्ट्रीय) की जनपद महामंत्री भी हैं। वर्ष 2020 में उत्तराखंड सरकार द्वारा ‘तीलू रौतेली’ सम्मान से सम्मानित। इसके अतिरिक्त अन्य कई प्रतिष्ठित सम्मान आपको समय-समय पर प्रदान किये गए हैं।