सुन री प्रिये यह गीत मेरा

सुन री प्रिये यह गीत मेरा,जो है प्रेम सुवास भरा।तेरा दर्शन, तेरा चिंतनये ही यज्ञ पुनीत मेरा।। सामगान सी तेरी प्रशंसा,चितवन तेरी काम प्रत्यंचा।मादक मधु अधरों में भरा।।सुन री प्रिये यह गीत मेरा।। आ मधुमास को दें…

यूँ किसी रोज़ जा भी सकता हूँ

यूँ किसी रोज़ जा भी सकता हूँमैं तुम्हें याद आ भी सकता हूँ।। ग़म को तकिये तले छुपाकर केचुटकुले कुछ सुना भी सकता हूँ।। मैं नहीं दिल के हाथ बेचारातुम कहो तो भुला भी सकता हूँ।। वो…

जाने कितने दिलों की हसरत है

जाने कितने दिलों की हसरत हैहै तेरा हुस्न, या क़यामत है?? सब्र न चैन, उलझनें दिल मेंये तेरा इश्क़ एक आफ़त है।। दिल कहे होंठ चूम लूँ तेरेहोश कहता है कि ये वहशत है।। मेरे शानों पे…

मैं निग़ाह ए नाज़ में शूल सा चुभता रहा।।

मैं निग़ाह ए नाज़ में, शूल सा चुभता रहाऔर दिल का ग़म भुलाने को ग़ज़ल लिखता रहा।। मैं इबादत के तरीकों से अभी वाकिफ़ न थाक्या ख़ुदा, क्या बुत, सभी को, सर मेरा झुकता रहा।। तू ही…

नज़र में उसकी मुहब्बत का इशारा भी न था

नज़र में उसकी मुहब्बत का इशारा भी न थाबात करना यूँ मेरे दिल को गवारा भी न था।। दोस्त करते रहे चर्चे तेरी मुहब्बत केमुस्कुराने के सिवा पास में चारा भी न था।। वो जो इतराया करे…

शिक्षक

शिक्षक, गुरु, आचार्य,ये नहीं मात्र शब्दनहीं मात्र एक सामाजिक संबंधयह है एक आसआस यही, कि सम्भव है,सम्भव है हर प्रश्न का हलजो जीवन कर रहा है प्रतिपल,सहारा यह उस हाथ कागीली मिट्टी जो काढ़तानिर्मित करता रूप सुहानेरंग…

लिक्खूँ क्या सौंदर्य तुम्हारा

लिक्खूँ क्या सौंदर्य तुम्हारा?चूके शब्द, चकित मन हाराप्रिये कहाँ से शब्द वो लाऊँबरनै जो मृदु रूप तुम्हारा।। कौन से छंद में तुमको बाँधूँकहो तुम्हें मैं क्या उपमा दूँ?अलंकार वो कौन सा होगाव्यक्त करे जो रूप तुम्हारा? प्रेरणा…

मन का भीषण समर न देखा

मन का भीषण समर ना देखाभाग्य का मेरे भँवर ना देखाअपना कहलाने वालों नेहृदय का सूना घर ना देखा।। बाल्यकाल का हठ ना जानाना यौवन का स्वप्न ही जानामेरे सीमित साधन से जोकुछ था बाहर, उधर ना…

रूठकर तक़दीर ने इस तरह बदला लिया

रूठकर तक़दीर ने इस तरह बदला लियाहमने जो भी चाहा उसको ग़ैर का बना दिया।। ले के उम्मीदों की झोली जिसकी चौखट पर गएउसने हमको एक अनजाना पता बता दिया।। अपना जज़्बा ये कि उस पे जान…

तुझे याद करने का बस ये सिला है

तुझे याद करने का बस ये सिला हैनया रोज़ क़िस्सा जहां को मिला है। सतरंगी सपनों की दुनियाँ में हम-तुमक्या ही नज़र को नज़ारा मिला है।। उड़ते हैं गलियों में चर्चे हमारेचाहत भी वल्लाह कैसी बला है।।…

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